क्यों नहीं?
- Aadishaktii S.
- Jan 20
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This post is sourced from my old blog.
Original Blog Date: November 3, 2019
क्यों कमी खली बस उस खग की
जो तेरे नभ पर रुका नहीं?
उड़ते पंछी की फितरत पर
रोना, मेरे मन, सही नहीं।
क्यों सुनना बस संगीत वही
जो श्रवणों ने कभी सुना नहीं?
वो अपने विश्व में नाद करें
मन, सुर तुमने सही छुआ नहीं।
क्यों जाती रेल के कट्टम की
स्मृतियों पर पानी फिरा नहीं?
वो अपने घर को जाती है,
तुम अपने घर कभी रुके नहीं।
क्यों बहते जल के आलिंगन
की लपटे हाथ से छूटी नहीं?
वो अपने जलद में समा गई
तुम अग्नि ताल से हटे नहीं!
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